Sunday, 18 November 2018

बुझ गए आस के दीपक

बुझ गए आस के दीपक
खंडहर हुआ उम्मीद का महल
टूटी प्रीत की माला ऐसी
बिखर गया मोती मोती
रूठी मुझसे तकदीर मेरी
पल पल जीना हुआ दुश्वार
ग़मों का छाया इस कदर अंधेरा
नहीं दूर दूर तक
कोई  रोशनी की किरण
घुटेगा दम यहाँ अब मेरा
तन से प्राण निकलने तक

रेखा जोशी

Saturday, 10 November 2018

छठ पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

छठ पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

कर सवार
सात घोड़ों के रथ पर
अपनी लालिमा से
दिवाकर ने रंग दिया आसमान

चलो सखी नदिया के नीर
करने प्रणाम
मिला जिससे हमें जीवन दान

आओ दें अर्ध्य 
सूरज की
प्रथम मचलती रश्मियों को
लहराती झूमती
तरंगिनी की लहरों पर
चलो सखी नदिया के नीर
थाली सजा के पूजने
सूरज के रथ को
प्रणेता जीवन का
जिसके
आगमन से हुई आलौकिक धरा
जीवन दाता हमारा
है उससे ही तन में प्राण

चलो सखी नदिया के नीर
करने प्रणाम
मिला जिससे हमें जीवन दान

रेखा जोशी

Friday, 2 November 2018

न्याय

है हल्ला बोलता दुनिया में अन्याय
आँखों  पे  पट्टी  बांधे  खड़ा  न्याय
घिस जाते  जूते  न्याय की आस में
न्याय मिले जल्दी नहीं कोई उपाय

रेखा जोशी