Sunday, 18 November 2018

बुझ गए आस के दीपक

बुझ गए आस के दीपक
खंडहर हुआ उम्मीद का महल
टूटी प्रीत की माला ऐसी
बिखर गया मोती मोती
रूठी मुझसे तकदीर मेरी
पल पल जीना हुआ दुश्वार
ग़मों का छाया इस कदर अंधेरा
नहीं दूर दूर तक
कोई  रोशनी की किरण
घुटेगा दम यहाँ अब मेरा
तन से प्राण निकलने तक

रेखा जोशी

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