बादलों के रथ पर हो के सवार
उड़ी उड़ी आज आसमां के पार
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भीगा भीगा सा है देखो गगन
ओस की बूँदों से निखरा उपवन
खिले फूल औ भंवरों की गुंजन
अद्भुत नजारों से झूमे संसार
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रूप अनोखा समाया कण कण में
भर दी उमंग मेरे तन बदन में
झूम के निकली सवारी गगन में
सतरंगी किरणों ने किया सत्कार
बादलों के रथ..
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आलौकिक छटा मुग्ध हुआ मनुआ
बिखरा प्रकृति का हर ओर जलवा
जल भर लाई संग आज पुरवा
सिहर उठ तन चली शीतल बयार
बादलों के रथ.
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अरुण की रश्मियां थिरकती जाएँ
झूला झूलाएँ मस्त हवाएँ
नील गगन पर झूम झूम गायें
पंछियों की लंबी सुन्दर कतार
रेखा जोशी
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