Thursday, 31 January 2019

बादलों  के रथ  पर  हो  के सवार

बादलों  के रथ  पर  हो  के सवार
उड़ी  उड़ी  आज आसमां  के पार
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भीगा  भीगा   सा  है   देखो  गगन
ओस  की बूँदों  से  निखरा उपवन
खिले  फूल  औ  भंवरों  की  गुंजन
अद्भुत   नजारों   से   झूमे   संसार
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रूप अनोखा समाया कण कण में
भर   दी  उमंग  मेरे  तन  बदन  में
झूम   के  निकली  सवारी गगन में
सतरंगी  किरणों  ने  किया सत्कार

बादलों के रथ..
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आलौकिक छटा मुग्ध हुआ मनुआ
बिखरा प्रकृति का हर ओर जलवा
जल  भर   लाई  संग  आज  पुरवा
सिहर उठ तन  चली  शीतल बयार

बादलों के रथ.
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अरुण की रश्मियां थिरकती जाएँ
झूला    झूलाएँ     मस्‍त     हवाएँ
नील  गगन  पर  झूम   झूम  गायें
पंछियों  की  लंबी   सुन्दर  कतार

रेखा जोशी

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