लिखे जो खत तुझे
”सौ बार झूठ बोलने से झूठ सच नही हो जाता ”आँखों में आंसू लिए गीतू को अपने घर से बाहर जाते देख रीमा के होश उड़ गए ,भागी भागी वह अपनी नन्द गीतू के पीछे गई लेकिन वह जा चुकी थी ,तभी उसके कानों से राजू की कड़कती हुई आवाज़ टकराई ,”यह सब तुमारे कारण ही हुआ है जो मेरी बहन आज नाराज़ हो कर मेरे घर से चली गई ,मैने तुम्हे अपने माता पिता और गीतू के पास उसकी परीक्षा के कारण छोड़ा था ,ताकि तुम घर का काम काज संभाल लो और गीतू अपनी परीक्षा की तैयारी अच्छी तरह से कर सके , लेकिन तुम तो वहाँ रही ही नही ,अपने मायके जा कर बैठ गई ,यह सब मुझे आज गीतू से पता चला है |
रीमा की आँखों से आंसू बहने लगे ,उसने तो अपने ससुराल में पूरा काम सभाल लिया था और गीतू को उसकी परीक्षा की तैयारी करने के लिए पूरा समय दिया था ,फिर उसने यह सब ड्रामा क्यों किया ?”रीमा दुखी और अनमने मन से अपने घर की सफाई में जुट गई ताकि उसका ध्यान दूसरी तरफ हो जाए ,अलमारी साफ़ करते हुए चिठ्ठियों का एक बड़ा पैकेट उसके हाथों में आ गया ,यह वह खत थे जो उसने कभी राजू को लिखे थे वह उसे खोल कर अपने लिखे हुए राजू के नाम उन प्रेम पत्रों को पढ़ने लगी ,जो उसने उन दिनों लिखे थे जब वह ससुराल में गीतू की परीक्षा के दौरान रही थी ,अचानक उसकी नज़र उन पत्रों पर लिखी तारीख़ और उसके ऊपर लिखे ससुराल के पते पर पड़ी ,उसकी आँखे एक बार फिर से गीली हो गई ,उसने अपने सामने खड़े राजू के हाथ में वह सारी चिठ्ठिया थमा दी ,जो खामोशी से उसकी बेगुनाही ब्यान कर रही थी l
रेखा जोशी
फरीदाबाद
No comments:
Post a Comment