Monday, 25 May 2020

मुक्तक

दिल को कलाकार की कलाकारी लुभाती 
भर  देता  जीवन  पत्थर   मूरत  भी भाती 
रेतीले  मरूस्थल  में  खिल  उठता  जीवन 
लगे   ऐसे   मूरत   पत्थर   की  मुस्कराती 

रेखा जोशी 

Friday, 22 May 2020

मुक्तक

आसमान  में चाँद तारे जगमगायेंगे 
खिले फूल बगिया भंवरे गुनगुनायेंगे
गीत गाये मधुर कुहूक कुहूक कोयलिया 
आपस में प्यार भरे जब दिल मिल जायेंगे 

रेखा जोशी 

Thursday, 21 May 2020

हे श्याम साँवरे

हे श्याम साँवरे गौ मात के रखवाले तुम ।
गौ रक्षा कर गोवर्धन पर्वत उठाने वाले तुम ।
दया करो दया करो सुनो फिर मूक पुकार तुम ।
कटती बुचड़खाने में आ कर उद्धार करो तुम ।।

हे श्याम साँवरे खाने को मिले घास नही ।
खा रही कूड़ा करकट कोई उसके पास नही ।
डोलती है लावारिस कोई उनका वास नही।
दीनदयाला अब तेरे सिवा कोई आस नही ।।

हे श्याम साँवरे सुनो पुकार कामधेनु की।
संवारों तुम ज़िन्दगी माँ तुल्य कामधेनु की।
जर्जर काया बह रहे आँसू तुम्हे पुकारें ।
याद आयें धुन मधुर बंसी की तुम्हे पुकारें

रेखा जोशी 

Sunday, 17 May 2020

लॉक डाउन 4.0

कोरोना वायरस का कहर पूरे विश्व में व्याप्त है, सारी दुनिया इससे लड़ रही है, भारत में लॉक डाउन 4.0 शुरू होने जा रहा है लेकिन कुछ शर्तों के साथ, धीरे धीरे कई जगह छूट भी दी जा रही हैl धीरे धीरे जिंदगी को ढर्रे पर लाने की कोशिश भी है, जैसे आंशिक रूप से रेल सेवा शुरू हो गई है ग्रीन जोन में काफी हद तक जिंदगी समान्य होती जा रही है, ऑरेंज जोन में भी कुछ छूट दी गई है l कोरोना का कहर जल्दी खत्म होने वाला नहीं और यह अब सब जान गए है कि हमें अब कोरो ना के साथ ही रहना पड़ेगा क्योंकि अब घर में लॉक डाउन होने के कारण लोगों को परेशानी होने लगी है, कई लोगों के काम धंधे बंद पड़े हैं, बच्चों की पढ़ाई चाहे ऑन लाइन हो रही है लेकिन सारा दिन मोबाइल और कंप्युटर पर बैठे रहने से एक तो उनके सिर में दर्द रहने लगा है दूसरे कोई शारीरिक व्यायाम न होने के कारण कई प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों का खतरा बढ़ रहा है l लॉक डाउन के चलते देश की आर्थिक स्थिति भी गिर रही है l लॉक डाउन 4.0 में सारी स्थिति को ध्यान में रखते हुए आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने राज्यों को अपने स्तर पर स्थिति से निपटने को कहा है और आर्थिक सहायता भी प्रदान करने की बात की है l

कोरोना की जंग से जीतने के लिए हम सबको सुरक्षा नियमों के पालन के साथ साथ अपने इम्यून तंत्र को भी शक्तिशाली बनाना होगा ताकि हर कार्य करते हुए हम इससे अपना बचाव कर सकें l

रेखा जोशी

है ह्रदय हमारे समाया स्वदेशी

बहुत देखे हमने परिधान विदेशी
है  पहनते  हम  पहनावा स्वदेशी 
,
दूर देश समुन्दर पार घूम आये
है  ह्रदय  हमारे समाया स्वदेशी
,
भांति भांति के हमने खाये व्यंजन
भोजन हमें घर का भाया स्वदेशी
,
जियेंगे  मरेंगे हम देश की खातिर 
गगन  में तिरंगा लहराया स्वदेशी
,
करें हम सलाम उन वीर जवानों को 
है खून  जिन्होंने  बहाया  स्वदेशी

रेखा जोशी

Thursday, 14 May 2020

बुझ गई प्यास जन्म जन्म की

अनुपम सौंदर्य 
अलौकिक छटा देख 
खुल गए द्वार अंतर्मन के 
झंकृत हुआ मन 
रूप नया देख 
मै इस पार तुम उस पार 
हो गए अब आर पार 
मिलन नही यह धरा गगन का 
आगोश में अब मै तेरे 
पा लिया अमृत घट 
सुधापान कर लिया मैने 
एकरस होकर  प्रभु अब 
समाया रोम रोम मेरा तुझमे 
बुझ गई प्यास जन्म जन्म की 
नेह तेरा पा के 
सम्पूर्ण हुआ जीवन मेरा 
द्वार आ के तेरे

रेखा जोशी