बहुत देखे हमने परिधान विदेशी
है पहनते हम पहनावा स्वदेशी
,
दूर देश समुन्दर पार घूम आये
है ह्रदय हमारे समाया स्वदेशी
,
भांति भांति के हमने खाये व्यंजन
भोजन हमें घर का भाया स्वदेशी
,
जियेंगे मरेंगे हम देश की खातिर
गगन में तिरंगा लहराया स्वदेशी
,
करें हम सलाम उन वीर जवानों को
है खून जिन्होंने बहाया स्वदेशी
रेखा जोशी
सुन्दर रचना।
ReplyDeleteसादर आभार आपका 🙏
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