गर्मा गर्म चाय
सुबह सुबह की और साथ
तुम्हारा है
खुदा कसम
यह पल सबसे
प्यारा है
,,
वाह
क्या मिठास है
तुम्हारे हाथों की
बनी चाय में
बनी रहे ऐसी ही मिठास
रिश्तों में हमारे
और कट जाए सफर
ज़िन्दगी का
चाय की चुस्कियों के संग
हमारा तुम्हारा
रेखा जोशी
ओम की गुंजन
ओम के जाप से हो जाता शान्त मन
गूंज से इसकी हो जाता कंपित तन
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वेदों में बतलाया ओम का स्वरूप
है ओम की महिमा सदा सत्य सनातन
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ओ उ म में है समाया सारा ब्रह्माण्ड
गूंगा भी करता है ओम का उच्चारण
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जप कर ओम नाम होता कल्याण सबका
ओम ही साकार रूप ओम ही निर्गुण
,
ओम जाप से जाते कट सभी के पाप
है कण कण में समाई ओम की गुंजन
रेखा जोशी