ओम की गुंजन
ओम के जाप से हो जाता शान्त मन
गूंज से इसकी हो जाता कंपित तन
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वेदों में बतलाया ओम का स्वरूप
है ओम की महिमा सदा सत्य सनातन
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ओ उ म में है समाया सारा ब्रह्माण्ड
गूंगा भी करता है ओम का उच्चारण
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जप कर ओम नाम होता कल्याण सबका
ओम ही साकार रूप ओम ही निर्गुण
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ओम जाप से जाते कट सभी के पाप
है कण कण में समाई ओम की गुंजन
रेखा जोशी
बढ़िया रचना
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