Wednesday, 9 August 2023

ज़िन्दगी गुज़र गई

देखते ही देखते 
ज़िन्दगी गुज़र गई
वही  है धरती
आसमां भी वही
वक्त के साथ
तस्वीर अपनी बदल गई
कभी-कभी 
देखते हैं मुड़ के पीछे 
क्या खोया क्या पाया 
ज़िन्दगी में हमने 
दिखाई देती है कुछ 
धुंधली सी परछाइयाँ 
याद आते ही 
आँखे नम हो गई 
था सुहाना बचपन 
बेफिक्र मौज मस्ती का आलम 
कब आई जवानी कब बीता बचपन 
हवा के झोंके सी उम्र निकल गई 
देखते ही देखते 
ज़िन्दगी गुज़र गई 

रेखा जोशी

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