Wednesday 13 March 2024

उड़ते पंछी नील गगन पर

छंदमुक्त रचना 

उड़ते पंछी
नील गगन पर
उन्मुक्त इनकी उड़ान
.
दल बना उड़ते मिल कर 
संगी साथी 
देते इक दूजे का साथ
चहक चहक खुशियाँ बांटे
गीत मधुर स्वर में गाते
उड़ते पंछी
नील गगन पर
उन्मुक्त इनकी उड़ान
..
भरोसा है अपने
पंखों पर
नहीं मानते हार कभी 
हौंसलों में है इनके जान
थकते नहीं रुकते नहीं
लड़ते आँधियों तूफानों से
हैं मंज़िल अपनी पा लेते 
उड़ते पंछी
नील गगन पर
उन्मुक्त इनकी उड़ान

रेखा जोशी



6 comments: