गीत
आधार छंद - वाचिक स्रग्विणी
मापनी - 212 212 212 212
मुस्कराते चले गुनगुनाते चले
हर खुशी जिंदगी में मनाते चले
मुस्कुराती रही है बहारें यहाँ
गुनगुनाते रहे हैं नजारे यहाँ
साथ ग़म का सदा हम निभाते चले
हर खुशी जिंदगी में मनाते चले
..
रात काली अँधेरी घनी थी मगर
लाख ग़म भी खड़े राह में थे मगर
चांद की चांदनी से नहाते चले
हर खुशी जिंदगी में मनाते चले
..
ये उदासी भरे दिन मिले हैं बहुत
ठोकरें दी हमें जिंदगी ने बहुत
आस का संग दीपक जलाते चले
हर खुशी जिंदगी में मनाते चले
..
मुस्कराते चले गुनगुनाते चले
हर खुशी जिंदगी में मनाते चले
रेखा जोशी
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