Tuesday, 28 March 2023

आधार छंद - वाचिक स्रग्विणी

गीत 

आधार छंद - वाचिक स्रग्विणी 

मापनी - 212 212 212 212
 मुस्कराते चले गुनगुनाते चले 
हर खुशी जिंदगी में मनाते चले

मुस्कुराती रही  है बहारें यहाँ 
गुनगुनाते  रहे  हैं नजारे  यहाँ 
साथ ग़म का सदा हम निभाते चले
हर खुशी जिंदगी में मनाते चले
..
रात काली अँधेरी घनी थी मगर
लाख ग़म भी खड़े राह में थे मगर 
चांद की चांदनी से नहाते चले
हर खुशी जिंदगी में मनाते चले
..
ये उदासी भरे दिन मिले हैं बहुत 
ठोकरें दी हमें जिंदगी ने बहुत 
आस का संग दीपक जलाते चले
हर खुशी जिंदगी में मनाते चले
..
मुस्कराते चले गुनगुनाते चले 
हर खुशी जिंदगी में मनाते चले

रेखा जोशी 

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