.मापनी - 221 2122 , 221 2122
तुम दूर जा रहे हो , मत फिर हमे बुलाना
अब प्यार में सजन यह ,फिर बन गया फ़साना
...
शिकवा नहीं करेंगे ,कोई नहीं शिकायत
जी कर क्या करें अब ,दुश्मन हुआ ज़माना
....
तुम खुश रहो सजन अब ,चाहा सदा यही है
मत भूलना हमें तुम ,वादा पिया निभाना
..
किस बात की सज़ा दी ,क्यों प्यार ने दिया गम
कोई हमें बता दे , क्यों फिर जिया जलाना
...
तुम ज़िंदगी हमारी ,हम जानते सजन ये
फिर भी न प्यार पाया ,झूठा किया बहाना
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment