Wednesday, 3 July 2024

वीराने से रास्ते

प्राकृतिक पहाड़ों के 
आँचल में खूबसूरत हरी भरी 
सुनसान घाटीयां
शहर के शोर ओ गुल से दूर
है कर देती हैं तर ओ ताज़ा
दिल और दिमाग़ को 
सादगी और सकून भरे 
उन वीरान से रास्तों की चुप्पी से 
लगता है अनजाना सा भय भी 
दिल के किसी कोने में 
इतने शांत और निर्मल वातावरण में भी 
कभी कभी दूर बैठे कौवे की 
कांव कांव भी 
डरा जाती है भीतर तक
लेकिन फिर भी वीरान से रास्तों पर 
चलना अच्छा लगता है 

रेखा जोशी 

 

8 comments:

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    1. सादर आभार आदरणीय

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  2. इन वीरान रास्तों पर चलते हुए ही तो मिलता है अपना साथ...और अपने साथ होना तो अच्छा ही लगता है
    बहुत ही सुन्दर...

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    1. सादर आभार आदरणीया

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  3. वीराने में ख़ुद से मुलाक़ात ..

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    1. सादर आभार आदरणीया

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  4. सुन्दर सृजन

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    1. सादर आभार आदरणीय

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