जब आंखो ही आंखो से होती है बात
तब धड़कने लगता है दिल बेचारा
नासमझ पगला यूँही दीवाना हो जाता है
आंखे मिलाने से
है आंखो ही आंखो में जब होते इशारे
नहीं रह पाता दिल बस में हमारे
बेबस हो जाता यह दिल बेचारा
चाहने लगता प्रियतम का सहारा
इक हूक इक कसक उठती है सीने में
ख्वाब हजारों लगते हैं सजने
है जग जाती आस मिलन की
दिल दीवाने को
नासमझ पगला यूँही दीवाना हो जाता है
आंखे मिलाने से
रेखा जोशी
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