अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई
दिल मचलता रहा पर उनसे ना मुलाकात हुई
,
रिमझिम बरसती बूंदों से है नहाया तन बदन
आसमान से आज फिर से जम कर बरसात हुईं
,
काली घनी घटाओं संग चले शीतल हवाएँ
उड़ने लगा मन मेरा ना जाने क्या बात हुई
,
झूला झूलती सखियाँ अब पिया आवन की आस
बीता दिन इंतज़ार में अब तो सजन रात हुईं
,
चमकती दामिनी गगन धड़के हैं मोरा जियरा
गर आओ मोरे बलम तो बरसात सौगात हुईं
रेखा जोशी
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