अपने प्यारे रिश्तों का साथ हमने निभाना है
जब तक तन में जान कर्म अच्छे करते जाना है
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छोड़ के मोह माया को यहाँ से जाना इक दिन
जीवन सफर में जो मिले प्यार से अपनाना है
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परिंदे कब तलक रहते कैद बंद पिंजरों में
उड़ान भरना फितरत ना कोई आशियाना है
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चार दिन की चाँदनी है जी भर के जी ले यहाँ
सब छूट जायेगा बन्दे, दो दिन का ठिकाना है
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अकेले आए दुनिया में जाना हमें अकेले
है झूठे सब बंधन मौत को गले लगाना है
रेखा जोशी
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