Friday 9 April 2021

अनबुझी प्यास

जो टूटे न कभी विश्वास हूँ मैं
अनवरत करती  प्रयास हूँ मैं 
जो बुझ न सकी सागर से भी
वो  ही  अनबुझी  प्यास हूँ  मैं 

रेखा जोशी 


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