Friday, 28 May 2021

गीतिका - प्रार्थना

विधाता छंद पर आधारित

गीतिका - प्रार्थना

मापनी
1222 1222 1222 1222

जपें जब नाम तेरा राह में प्रभु पास होता है 
कृपा तेरी रहे हम पर सदा विश्वास होता है 

हमेशा हाथ तेरा ही रहे सर पर हमारे प्रभु 
करें पूजा यहाँ दिन रात दुख का नास होता है 

दया इतनी करो भगवन हमारे काज हों पूरें
खड़े हो पास तुम मेरे यही आभास होता है 

कहीं कोई सहारा जब हमें दिखता नहीं भगवन 
पुकारें आपका जब नाम पल वह खास होता है 

खिले हैं फूल बगिया में महकता है यहाँ उपवन 
समाये हो जहाँ में आप कण कण वास होता है

रेखा जोशी

Thursday, 27 May 2021

पंछी आता अकेला जाता अकेला

अतिथि रचना
गीत 

है जीवन यहाँ बस दो दिन का मेला
पंछी आता अकेला जाता अकेला 
...
जीवन मीठा हो या कड़वा करेला 
रहा सुलझाता झमेले पे झमेला
दिन को चैन न रात को मिले आराम 
जाने कब आ जाये मौत की बेला 
मनाऊँ किस जीत पर जश्न की बेला
बहाऊँ हार पर आंसुओं का रेला 
इक दिन जुदा हो जाना है संसार से
कौन करे गा याद फिर तुझे अलबेला
... 
अजब ग़ज़ब जीवन में वक्त का खेला
पास होगा न कोई संगी  सहेला
धरा का धरा रह जाएगा यहां सब 
साथ न जाए किसी के इक भी धेला 
.. 
है जीवन यहाँ बस दो दिन का मेला
पंछी आता अकेला जाता अकेला 

रेखा जोशी 


Sunday, 23 May 2021

मुक्तक

सुन्दर तन सदा ना सुन्दर ही रहेगा
वक़्त के चलते मुरझा कर ही रहेगा
सुन्दर तन ढल जाएगा मन चमकेगा
सोना है तप कर निखरता ही रहेगा

रेखा जोशी


मुक्तक


कभी किसी को अपशब्द न बोलिए 
बोलने   से   पहले    शब्द   तोलिए 
शब्दों  से आपके दुखे न दिल कभी 
अपने  शब्दों  में  अमृत  रस घोलिए 

रेखा जोशी 


Saturday, 22 May 2021

ग़ज़ल

मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन

1222 1222 122

काफिया आना
रदीफ़ और ही था

तिरा साजन  फ़साना और ही था
न मिलने का बहाना और ही था
..
न जाना छोड़ कर महफ़िल हमारी
तिरा फिर रूठ जाना और ही था
...
रही हसरत अधूरी प्यार में अब
वफ़ा हमसे निभाना और ही था
....
शमा जलती नही है रात भर अब
हमारा वह  ज़माना और ही था
...
बदल कर रूप अपना ज़िन्दगी अब
हमारे  पास  आना  और ही था

रेखा जोशी

Sunday, 16 May 2021

सुगंधित करते रहें पुष्प  प्यारी ज़िन्दगी
स्नेह के फूलों ने  खूब  सँवारी जिन्दगी
बहारें आती रहें  जीवन  की  बगिया में
महकती  महकाती रहें  हमारी जिन्दगी
रेखा जोशी

Tuesday, 11 May 2021

मौत का कहर

सहम गई है जिंदगी
देख भयानक रूप आज 
आहटे मौत की 
आ रही हैं हर ओर से
बिछुड़े कितने ही
अपनों से आज अपने
मुस्कराते चेहरे 
खामोश लिपटे सफेद किट में 
सो गए सदा सदा के लिए 
हे भगवन ये क्या हो रहा है 
हर शख्स परेशान हो रहा है 
दया करो प्रभु, दया करो प्रभु 
बस अब और नहीं और नहीं 
बंद कर दो अपना ये खेल 
माफ कर दो हमारी हर भूल 
खुशियां भर दो झोली में सबकी
फिर से जीवन में उल्लास भर दो 

रेखा जोशी