गीत
आधार छंद भुजंगप्रयात
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कहानी हमारी रही अनकही है
किसी को हमारी खबर ही नहीं है
अधूरे रहे आज सपने हमारे
चले संग अपने गगन चांद तारे
मगर घर यहां चाँदनी भी नहीं है
किसी को हमारी खबर ही नहीं है
खुशी थी बहुत जिंदगी साथ पा कर
डुबाया हमें आज मझधार ला कर
किनारे लगी आज नैया नहीं है
किसी को हमारी खबर ही नहीं है
कहानी हमारी रही अनकही है
किसी को हमारी खबर ही नहीं है
रेखा जोशी