छंदमुक्त रचना
समय धारा के संग
बहता रहा जीवन सारा
युगों युगों से
इस धरा पर रात दिन छलते रहे
और चलता रहा यूहीं
निरंतर जीवनक्रम हमारा
हर पल हर क्षण यहाँ पर
आते जाते है मुसाफिर
है कहीं पर हास और
रूदन है कहीं पर
गागर ख़ुशी से भरी
कहीं कलश गम के.भरे
धूप आँगन में खिले
कहीं छाये बादल धनें
और चलता रहा यूहीं
निरंतर जीवनक्रम हमारा
फिर भी धूप छाँव से
सजा जीवन यह हमारा
है बहुत अनमोल
आओ जी लें यहाँ
हर ऋतु हर मौसम
हँसने के पल पाकर हँसले
और रोने के रोकर
दो दिन के इस जीवन का
जी लें हर पल हर क्षण
और चलता रहे यूहीं
निरंतर जीवनक्रम हमारा
रेखा जोशी