Thursday, 8 June 2023

इक छोटू

जाने कहां 
खो गया बचपन 
अक्सर दिख जाता है
किसी ढाबे या चाय की दुकान पर
इक छोटू 

पढ़ने लिखने की बाली उम्र 
गंदे जूठे बर्तन धोते छोटे छोटे हाथ
लाचार, बेबस 
सूनी आंखों से निहारता
डांट खाता हुआ अपने मालिक की
थप्पड़ों की गूँज से आहत
अक्सर दिख जाता है
किसी ढाबे या चाय की दुकान पर
इक छोटू 

नन्हे नन्हें कन्धों. पर
जिम्मेदारियों का बोझ उठा रहा
न जाने किस जुर्म की सजा पा रहा
किसका कर्ज चुका रहा
बेचारा बच्चा
अक्सर दिख जाता है
किसी ढाबे या चाय की दुकान पर
इक छोटू 

रेखा जोशी


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