Thursday, 15 June 2023

जीवनक्रम

छंदमुक्त रचना

समय धारा के संग 
बहता रहा जीवन सारा
युगों युगों से 
इस धरा पर रात दिन छलते रहे
और चलता रहा यूहीं
निरंतर जीवनक्रम हमारा 

हर पल हर क्षण यहाँ पर
आते जाते है मुसाफिर
है कहीं पर हास और
रूदन है कहीं पर
गागर ख़ुशी से भरी 
कहीं कलश गम के.भरे
धूप आँगन में खिले 
कहीं छाये बादल धनें
और चलता रहा यूहीं
निरंतर जीवनक्रम हमारा

फिर भी धूप छाँव से 
सजा जीवन यह हमारा
है बहुत अनमोल
आओ जी लें यहाँ
हर ऋतु हर मौसम
हँसने के पल पाकर हँसले
और रोने के रोकर
दो दिन के इस जीवन का
जी लें हर पल हर क्षण 
और चलता रहे यूहीं
निरंतर जीवनक्रम हमारा

रेखा जोशी


2 comments:

  1. खूबसूरत अभिव्यक्ति

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  2. हर पल को उसी पल में जी लिया जिसने, समझो जीवन का मर्म पा लिया उसने

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