गीतिका
फूल उपवन सदा मुस्कुराते रहे
संग मधुकर यहाँ गुनगुनाते रहे
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चल पड़े साथ राहें अलग थी मगर
ज़िन्दगी साथ तेरा निभाते रहे
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गम भरी ज़िन्दगी में ख़ुशी भी मिली
पोंछ आंसू यहाँ खिलखिलाते रहे
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ज़िन्दगी की यहाँ शाम ढलने लगी
आस का दीप हम तो जलाते रहे
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पास आओ कभी हाल अपना कहें
ज़िन्दगी भर नज़र क्यों चुराते रहे
रेखा जोशी
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