Sunday, 25 February 2024

हूँ आस का दीपक

मैं जलता रहा हरेक के अंतस में
हूँ आस का दीपक

हारे जो जीवन से अपने
टूटे हो जो जिनके सपने 
मैं फैला कर रौशनी अपनी
जगा कर उम्मीद की इक किरण
बिखेर देता हूँ सुनहरी रश्मियाँ कभी कभी
जीवन में उनके
मैं जलता रहा हरेक के अंतस में
हूँ आस का दीपक

बुझे निराश मन को झकझोर कर
प्रयास करता हूँ मैं हर पल 
नवीन उत्साह भरने का 
जीवन की मुश्किलें हल करने का
मैं जलता रहा हरेक के अंतस में
हूँ आस का दीपक

रेखा जोशी 


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