मैं जलता रहा हरेक के अंतस में
हूँ आस का दीपक
हारे जो जीवन से अपने
टूटे हो जो जिनके सपने
मैं फैला कर रौशनी अपनी
जगा कर उम्मीद की इक किरण
बिखेर देता हूँ सुनहरी रश्मियाँ कभी कभी
जीवन में उनके
मैं जलता रहा हरेक के अंतस में
हूँ आस का दीपक
बुझे निराश मन को झकझोर कर
प्रयास करता हूँ मैं हर पल
नवीन उत्साह भरने का
जीवन की मुश्किलें हल करने का
मैं जलता रहा हरेक के अंतस में
हूँ आस का दीपक
रेखा जोशी
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