Friday, 18 April 2014

श्रद्धांजलि

मै बहुत शोकग्रस्त हूँ ,मेरे इन्द्र  पापा जी नही रहे ,वैसे तो वह मेरे चाचा जी  और मौसा जी थे ,लेकिन वह सदा मुझे छोटी बहन मानते थे और मै सदा उन्हें राखी बांधती थी और भाई दूज पर तिलक भी करती थी। मालूम है कि जिसने जन्म लिया है उसने जाना भी है लेकिन उनकी यादे ताउम्र मेरे साथ रहेंगी । वह पवित्र आत्मा परमात्मा में लीन हो चुकी है । मेरी उस दिवंगत आत्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि ,ॐ शान्ति 

रेखा जोशी 

Tuesday, 15 April 2014

काल का पहिया निरंतर चलता जा रहा है

काल का पहिया निरंतर चलता जा रहा है
शाम ए ज़िंदगी में अब अँधेरा छा रहा है 
लम्हा लम्हा फिसलती जा रही यह ज़िंदगी
बीत गई जवानी अब बुढ़ापा आ रहा है
रेखा जोशी

Monday, 14 April 2014

सुख का मोल बहुत जीवन में

सुख का मोल बहुत जीवन में

खिला मुख पर यह मनहर हास
व्यथा का है पीछे इतिहास
होगा हाय लुप्त यह क्षण में
सुख का मोल बहुत जीवन में

बिना चाहे आता मधुमास
बिना पूछे जाता मधुमास
जाता छोड़ चुभन सी  मन में
सुख का मोल बहुत जीवन में

हृदय में हो खंडहर वीरान
भवन जिन पर करते निर्माण
कितने ढीठ प्राण यह तन में
सुख का मोल बहुत जीवन में

सुख का मोल बहुत जीवन में

महेन्द्र जोशी 

Saturday, 12 April 2014

विनाश को आमंत्रण



पांच वर्ष बाद इन सुन्दर पहाड़ियों में मीरा का  आना हुआ ,टेढ़ी मेढ़ी सर्पाकार सड़कों पर उनकी  गाडी फर्राटे भरती हुई निकल रही थी कि अचानक ड्राईवर ने गाडी रोक दी ,देखा तो ठीक गाड़ी के सामने एक बड़ा सा पत्थर पड़ा हुआ था ,शायद ऊपर पहाड़ों से से टूट कर कोई चट्टान लुढ़क कर नीचे सड़क पर गिर गई थी । मीरा और उसका पति दोनों गाडी से नीचे उतर कर सड़क पर आ गए ,अब आगे कैसे जायें गे ,वह दोनों इसी दुविधा में थे कि वहीँ का रहने वाला एक व्यक्ति वहां पहुंच गया ,''साहब जी यह तो यहां अक्सर होता रहता है ,आप देखो ऊपर पहाड़ को ,सारे पेड़ कट चुके है ,बारिश होते ही पहाड़ टूटने लगते है ,आये दिन ऐसा नज़ारा देखने को मिल जाता है ,ख़ैर आप चिंता  न करो मे अपने साथियों के साथ मिल कर इसे हटा देता हूँ ,''। तीन आदमियों के साथ वह व्यक्ति पत्थर हटाने में जुट गया ,लेकिन मीरा के मन में उथल पुथल शुरू हो गई ,''क्यों काटते है पेड़ ,मानव क्यों खिलवाड़ करता है प्रकृति से ,जब पेड़ ही काट दिए जाएँ गे तो पानी के बहाव को कैसे रोका जा सकता है ,मानव खुद ही विनाशलीला को आमंत्रित कर रहा है '', तभी उसे उस पहाड़ी व्यक्ति की आवाज़ सुनाई दी ,''लीजिये साहब जी ,आपका रास्ता साफ़ हो गया ,अब आप आराम से आगे जा सकते है । मीरा अपने पति के साथ कार में बैठ गई और साथ में अनेक प्रश्न लिए वह आगे बढ़ गए ।

रेखा जोशी 

Tuesday, 8 April 2014

कितने नैतिक है हम ?

कितने नैतिक  है हम ?इस प्रश्न से मै दुविधा में पड़ गई ,वह इसलिए क्योकि अब यह  शब्द पूर्ण तत्त्व न हो कर तुलनात्मक हो चुका है कुछ दिन पहले मेरी एक सहेली वंदना के पति का बैग आफिस से घर आते समय कहीं खो गया ,उसमे कुछ जरूरी कागज़ात ,लाइसेंस और करीब दो हजार रूपये थे ,बेचारे अपने जरूरी कागज़ात के लिए बहुत परेशान थे |दो दिन बाद उनके  घर के बाहर बाग़ में उन्हें अपना बैग दिखाई पड़ा ,उन्होंने उसे जल्दी से उठाया और खोल कर देखा तो केवल रूपये गायब थे बाकी सब कुछ यथावत उस  बैग में वैसा ही था ,उनकी नजर में चोर तुलनात्मक रूप से नैतिक  था ,रूपये गए तो गए कम से कम बाकी सब कुछ तो उन्हें मिल ही गया ,नही तो उन्हें उन कागज़ात की वजह से काफी परेशानी उठानी पड़ती|वह दिन दूर नही जब हमारा देश चोरों का देश बन कर रह जाए गा ,कोई छोटा चोर तो कोई बड़ा चोर ,कोई अधिक ईमानदार तो कोई कम ईमानदार ,लेकिन अभी भी हमारे भारत में नैतिकता पूरी तरह मरी नही ,आज भी समाज में ऐसे लोगों की कमी नही है जिसके दम पर सच्चाई टिकी हुई है | वंदना अपनी नन्ही सी बेटी रीमा की ऊँगली थामे जब बाज़ार जा रही थी तभी उसे रास्ते में चलते चलते एक रूपये का सिक्का जमीन पर पड़ा हुआ मिल गया,उसकी बेटी रीमा ने  झट से उसे उठा कर ख़ुशी से उछलते हुए  वंदना से कहा ,''अहा,मम्मी मै तो इस रूपये से टाफी लूंगी,आज तो मज़ा ही आ गया ''| अपनी बेटी के हाथ में सिक्का देख वंदना उसे समझाते हुए बोली  ,''लेकिन बेटा यह सिक्का तो तुम्हारा नही है,किसी का इस रास्ते पर चलते हुए गिर गया होगा  ,ऐसा करते है हम  मंदिर चलते है और इसे भगवान जी के चरणों में चढ़ा देते है ,यही ठीक रहे गा ,है न मेरी प्यारी बिटिया |''वंदना ने अपनी बेटी को  ईमानदारी का पाठ तो पढ़ा दिया लेकिन आज अनेक घोटालों के पर्दाफाश हो रहे इस देश में ईमानदारी और नैतिकता जैसे शब्द खोखले,  निरर्थक और अर्थहीन हो चुके है,एक तरफ तो हम अपने बच्चों से  ईमानदारी ,सदाचार और नैतिक मूल्यों की बाते करते है और दूसरी तरफ जब उन्हें समाज में पनप रही अनैतिकता और भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ता है तब  हमारे बच्चे ,इस देश के भविष्य निर्माता टूट कर बिखर जाते है ,अपने परिवार  से मिले आदर्श संस्कार उन्हें अपनी ही जिंदगी में आगे बढ़ कर समाज एवं राष्ट्र हित के लिए कार्य करने में मुश्किलें पैदा कर देते है ,उनकी अंतरात्मा उन्हें बेईमानी और अनैतिकता के रास्ते पर चलने नही देती और घूसखोरी ,भ्रष्टाचार जैसे भयानक राक्षस मुहं फाड़े  इस देश के भविष्य का निर्माण करने वाले नौजवानों को या तो निगल जाते है या उनके रास्ते में अवरोध पैदा कर  उनकी और देश की प्रगति पर रोक लगा देते है ,कुछ लोग इन बुराइयों के साथ समझौता कर ऐसे भ्रष्ट समाज का एक हिस्सा बन कर रह जाते है और जो लोग समझौता नही कर पाते वह सारी जिंदगी घुट घुट कर जीते है | रीमा की ही एक सहेली के भाई ने सिविल इंजिनीयरिंग की डिग्री प्राप्त कर बहुत उत्साह से कुछ कर दिखाने का जनून लिए पूरी लग्न और निष्ठां से  एक सरकारी कार्यालय में नौकरी से अपनी नई जिंदगी की शुरुआत की ,लेकिन उसकी वही निष्ठां और लग्न सरकारी कार्यालयों के  भ्रष्ट तंत्र में उसकी एक स्थान से दूसरे स्थान पर हो रही तबादलों का कारण बन गई ,उसे एक जगह पर टिक कर कुछ करने का मौका ही नही मिल पाया और आज यह हाल है की बेचारा अवसाद की स्थिति में पहुंच चुका  है |एक होनहार युवक का अपने माँ बाप दुवारा दी गई नैतिकता और ईमानदारी की शिक्षा के कारण उसका ऐसे भ्रष्ट वातावरण में  दम घुट गया |यह केवल एक युवक का किस्सा नही है ,हमारे देश में हजारों , लाखों युवक और युवतिया बेईमानी ,अनैतिकता ,घूसखोरी के चलते क्रुद्ध ,दुखी और अवसादग्रस्त हो रहे है ,लेकिन क्या नैतिकता के रास्ते पर चल ईमानदारी से जीवन यापन करना पाप है ?,याँ फिर हम इंतज़ार करें उस दिन का जब सच्चाई की राह पर चलने वाले इस भ्रष्ट वातावरण के चलते हमेशा हमेशा  के लिए खामोश हो जाएँ और यह  देश चोरों का देश कहलाने लगे|

रेखा जोशी 

Monday, 7 April 2014

सभी मित्रों को रामनवमी की हार्दिक बधाई


सभी मित्रों को रामनवमी की  हार्दिक बधाई


राम नाम के जाप से ,जीवन ले संवार 
जप  राम का करने से , होती नैया पार 
होती नैया पार ,मिल जाते है किनारे 
आई तेरे द्वार ,राम शरण तिहारे 
जोड़े  हाथ अपने ,बन जाते बिगड़े काम 
दया हम पर रखिये , सुमिरन करते हे राम 

रेखा जोशी 

देख तमाशा दुनियाँ का



विवेक
थम गया  
और 
बुद्धि 
असमंजस में 
देख तमाशा 
दुनियाँ का 
रोती 
अच्छाई यहाँ 
और 
मनाती जश्न 
बुराई यहाँ 
किसका 
थामें 
हाथ यहाँ 
रहें 
रोते सदा 
जीवन भर 
याँ 
मनायें जश्न 
हम भी 
यहाँ 

रेखा जोशी 

Sunday, 6 April 2014

जननी जन्म भूमि के लिए मर मिटने को तैयार हैं

जननी जन्म भूमि  के लिए मर मिटने को तैयार हैं 
भारत  माता  की  खातिर   सर   कटने  को तैयार है 
परिवार  अपने  से  मीलों   दूर  तैनात   सीमा   पर 
मान  और  शान   तिरंगे   की   रखने   को  तैयार है 

रेखा जोशी

Saturday, 5 April 2014

नैनो में समाये मेरे



 ख्यालों में तुम इस कदर हो छाये मेरे 
 कुछ और नज़र आता नहीं सिवाये तेरे 
आईना  देखूँ तो अक्स  दिखता  है तेरा 
 बंद  करूँ  पलक  नैनो  में  समाये  मेरे 

 रेखा जोशी 

Thursday, 3 April 2014

राहों में मानो जैसे फूल ही फूल खिल जाते है

"जिंदगीं की भागदौड़ में रास्ते बदल जाते हैं "
न जाने किस मोड़ पर हमारे जब  दिल मिल जाते है 
बदल जाती तब अचानक  ज़िंदगी कुछ ऐसे हमारी 
राहों में मानो जैसे फूल ही  फूल खिल जाते है 

रेखा जोशी 

मै खामोश हूँ


मै खामोश हूँ
भीतर हलचल 
शांत सागर
..................
इक हूक जो
है सीने में उठती 
ज्वालामुखी सी
..................
प्यार किया था
हूँ पर तन्हा तन्हा 
दिल से चाहा
...................

 हो काश कोई 
समझ पाता मुझे 
जी तो लेती मै
...................
लब जो खुले 
दिल की कहने को 
आवाज़ गुम
...................
शब्द नही है 
धड़कन में तुम
हुई  निशब्द

रेखा जोशी 

Wednesday, 2 April 2014

मुहब्बत का दीदार

जब जीवन में तेरे मुहब्बत का दीदार होगा
प्यार और वफ़ा ही ज़िंदगी का आधार होगा 
खुशियाँ ही खुशीयाँ छा जायेंगी जीवन में तेरे
गम न करना तू तब सपना तेरा साकार होगा
रेखा जोशी

Tuesday, 1 April 2014

हसीन पल

कितना
हसीन
है यह पल
अपने में
सारी  खुशियाँ
समेटे हुए
मै और तुम
और रंगीन
नज़ारे
काश
यहीं
ठहर जाए
यह पल
थम  जाए
यह
ज़िन्दगी
यहीं
लेकिन
नही रूकती
कभी
ज़िन्दगी
चल रही
चलती
जा रही
और
पीछे छोड़
जाती
है यादें
उन
हसीन
पलों की
तन्हाई में
याद
अक्सर आते
है
वो पल
रह रह
कर

रेखा जोशी