Tuesday, 12 June 2018

इक हवा के झोंके सी गुज़र गई ये जिंदगी


गीतिका

इक हवा के झोंके सी गुज़र गई ये जिंदगी
देखते देखते रेत सी बिखर गई ये जिंदगी
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प्यार का आँचल भी लहराया था कभी जीवन में
दामन छुड़ा के प्यार भरा किधर गई ये जिंदगी
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उजड़ा है यहाँ चमन न फूल है न बगिया गुलजार
जाने कहाँ पर आ कर अब ठहर गईं ये जिंदगी
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गरम हवा के झोंके से झुलस गया है घर अपना
तन बदन को हम सब के जला कर गई ये जिंदगी
....
टूटा आशियाना यहाँ तेज चलती हवाओं से
रुला कर अब हमें  आठों  पहर  गई ये जिंदगी

रेखा जोशी

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