महिमा प्रभु की सदा मै गाती रहूँ
शीश अपना सदा मै नवाती रहूँ
जन जन में देखूँ रूप मै तुम्हारा
ख़ुशी सबके जीवन में लाती रहूँ
,
है खिल खिल गये उपवन महकाते संसार
फूलों से लदे गुच्छे लहराते डार डार
सज रही रँग बिरँगी पुष्पित सुंदर वाटिका
भँवरें अब पुष्पों पर मंडराते बार बार
रेखा जोशी
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