शाम गमगीन साजन मिली क्या करें
रात में शाम अब यह ढली क्या करें
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छोड़ हम को अकेले चले तुम कहाँ
देख कर आज सूनी गली क्या करें
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साथ दोनों चले ज़िन्दगी में सजन
साथ छूटा मची खलबली क्या करें
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फूल खिलते नहीं प्यार में अब यहाँ
बाग़ में आज खिलती कली क्या करें
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दर्द में डूब कर क्या हमें है मिला
ज़िन्दगी जो नही अब खिली क्या करें
रेखा जोशी
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