Wednesday, 25 July 2018

छलकते रहे नयन बहते रहे आँसू

छलकते रहे नयन
बहते रहे आँसू
खाते रहे कसमे हम
ज़िन्दगी भर
देते रहे दुहाई हम
अपनी वफ़ा की
लेकिन
गहराती शक की
खाईयों में
मिट गई उल्फत मेरी

देख उनको
कभी
थी बजा करती दिल मे
शहनाईयां
पर मिली ज़िन्दगी में हमे
रुसवाईयाँ
लेकिन गहराती रही
शक की खाईयां
वक्त चलता रहा
फासले बढ़ते रहे
दूर दिल होते रहे
पास रहते हुये भी  उनसे
जुदा हो गये
हम आजकल

रेखा जोशी

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