Thursday, 19 July 2018

बाढ़

ऊफ यह बाढ़
रह जाती है अखबार की
इक खबर बन कर
या दिखते टेलीविजन पर
डूबे हुए घर
चहुं ओर जलथल
है पढ़ते देखते हम
बाढ़ से पीड़ित लोगों की
बेबसी लाचारी
फिर फेंक अखबार को एक ओर
टेलीविजन बंद कर
है भूल जाते उनकी व्‍यथा
नहीं महसूस कर पाते हम
उनकी भूख उनकी पीड़ा
डूबे हुए घरों में तैरती गंदगी
कितने असंवेदनशील
हो जाते हैं हम
बस छोड देते उनको
हाल पर उनके
इक आम खबर की तरह

रेखा जोशी

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