ढूँढ रहे लगा तेरी गलियों के फेरे पड़ गये छाले अब तो पैरों में मेरे आ भी जाओ तुम अब तो थक चुके हैं हम अस्त व्यस्त हुई है जिंदगी बिन तेरे
रेखा जोशी
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