झूलती सुख दुख की लहरों पर
जीवन नैया
जाना है उस पार
उदंड लहरों में डोल रही
जीवन नैया
नहीं छोड़ सकते इसे
हवाओं के सहारे
उठानी होगी खुद ही
पतवार हाथों में
कर्म करने से ही होगी पार
जीवन नैया
है भाग्य हाथों में तेरे
कर्मों से ही बनेगा नसीब तेरा
उठो संवार लो अपनी तकदीर
जब जागो तभी सवेरा
नहीं तो बस
अंधेरा ही अंधेरा
संभल जाओ
नहीं तो डूब जाये गी
जीवन नैया
रेखा जोशी
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