Wednesday, 3 April 2019

मै बांसुरी बन जाऊं  प्रियतम


मै बांसुरी बन जाऊं  प्रियतम
और फिर अधर धरो इसे तुम
...
मधुर बांसुरी की मैं धुन सुन
पाऊं कान्हा को राधिका बन 
.....
रोम रोम यह कम्पित हो जाए
तन मन में कुछ ऐसा भर  दे
.....
प्रेम नीर आये नयनों में भर
शांत करे ज्वाला अंतर  मन
...
फैले कण कण में उजियारा
और हर ले मन का अँधियारा
...
मै बांसुरी बन जाऊं  प्रियतम
और फिर अधर धरो इसे तुम
....

रेखा जोशी

3 comments:

  1. बहुत ही भावपूर्ण रचना | राधा सी व्याकुलता और प्रियतम में कृष्ण सा विशवास बहुत ही मनभावन है |सस्नेह शुभकामनाये प्रिय रेखा जी |

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    1. सादर आभार आपका रेणू जी

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  2. सादर आभार आपका 🙏 रेणु jo

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