मै बांसुरी बन जाऊं प्रियतम
और फिर अधर धरो इसे तुम
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मधुर बांसुरी की मैं धुन सुन
पाऊं कान्हा को राधिका बन
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रोम रोम यह कम्पित हो जाए
तन मन में कुछ ऐसा भर दे
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प्रेम नीर आये नयनों में भर
शांत करे ज्वाला अंतर मन
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फैले कण कण में उजियारा
और हर ले मन का अँधियारा
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मै बांसुरी बन जाऊं प्रियतम
और फिर अधर धरो इसे तुम
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रेखा जोशी
बहुत ही भावपूर्ण रचना | राधा सी व्याकुलता और प्रियतम में कृष्ण सा विशवास बहुत ही मनभावन है |सस्नेह शुभकामनाये प्रिय रेखा जी |
ReplyDeleteसादर आभार आपका रेणू जी
Deleteसादर आभार आपका 🙏 रेणु jo
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