Friday, 19 April 2019

हम सब देश के चौकीदार

हम सब देश के चौकीदार

जन्‍म लिया जिस माटी में
बीता गोद में  जिसके बचपन
वहाँ कर रहे अत्याचार
शूरवीरों की इस धरती पर
जयचंदो की है भरमार
भरे हुए है देश में दुश्मन
अपने ही भाई बंधु गद्दार
किस लालच में अंधे होकर
भूल गए अपने संस्कार
भारत की गरिमा मर्यादा का
कर रहे हैं तिरस्कार
जा मिल बैठे दुश्मन के संग
लगाए बैठा जो पहले से घात
कैसी सोच कैसी नीति
है धिक्कार है धिक्कार

धरम अपना जो निभा रहे
देश के हैं वह पहरेदार
देश की है खाते सौगंध
सबक सिखाएंगे गद्दारों को अब
सबसे ऊपर राष्ट्र हमारा
बढ़ाएँ गे इसकी शान
रक्षा करेंगे भारत की अब
हम सब देश के चौकीदार

रेखा जोशी

6 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (21-04-2019)"सज गई अमराईंयां" (चर्चा अंक-3312) को पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    - अनीता सैनी

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    1. सादर आभार आपका 🙏 अनिता जी

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  2. बहुत सुंदर रचना

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    1. सादर आभार आपका 🙏 अनुराधा जी

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  3. सुन्दर रचना

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    1. सादर आभार आपका 🙏 onkar जी

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