Sunday, 29 September 2019

जीवन सफर में

मुसाफ़िर हो तुम भी, मुसाफिर हैं हम भी

इस जीवन सफर में

शुरू हुआ यह सफर धरा पर आते ही

कितना सुहाने थे वोह बचपन के दिन

माँ की गोद, बाप का प्यार

यही थी दुनिया यही था संसार

संघर्षरत हुआ जीवन जवानी के आते ही

हुआ अहसास सुख दुख, हार जीत का

लेकिन सफर चलता रहा

आई है अब तो जीवन की शाम

बढ़ रहे हैं हम मंजिल की ओर

खत्म हो जाएगा इक दिन सब कुछ

रह जाएगी बस चिता की धूल

यही तो है अंतिम पड़ाव

जीवन के इस सफर का

रेखा जोशी

Friday, 27 September 2019

कह मुकरियाँ

कह मुकरियाँ

मत लो और मेरी परीक्षा
कर  रही  हूँ तेरी प्रतीक्षा
रहता सदा तेरा ही ध्यान
का सखि साजन, न सखि भगवान
..
राह  निहारूं मैं बार बार
आने  से  है आये   बहार
खिले मनवा भरी दोपहरी
का सखि साजन, ना सखि महरी

रेखा जोशी

Thursday, 19 September 2019

माँ


जगदंबिका जगत जननी
समझ सकती हूँ  पीड़ा तेरी
इक दूजे के खून के प्यासे
दो भाईयोँ को देख
दर्द से तिलमिला उठी कोख मेरी
.
ममतामयी माँ हो तुम
रचना जो की जग की
महसूस कर सकती हूँ मै
तड़प तुम्हारे मन की
क्या गुज़रती होगी सीने में तुम्हारे
रक्त से सनी लाल धरा देख कर
बमों के धमाको से जब गूँजता आसमान
दम तोड़ती जब तेरी सन्तान
.
हे माँ अब सुन  पुकार
आज अपने गर्भ की दिखा दे ममता
आँसू पोंछ उनके खून बन जो टपक रहे
सुख की साँस ले सकें सब
फिर नीले अम्बर तले
घृणा आपस की मिटा कर
दिखा शक्ति  अपने प्रेम  की

रेखा जोशी

Sunday, 15 September 2019

Vastu tip

वास्तु शास्त्र के हिसाब से बेड के सिरहाने की दिशा दक्षिण होनी चाहिए, हमें मालूम है कि हमारी धरती में चुम्बकीय शक्ति है, चुंबकीय नॉर्थ पोल भौगोलिक साउथ पोल को तरफ होता है और चुंबकीय साउथ पोल भौगोलिक नॉर्थ पोल की तरफ होता है l चुंबकीय बल की रेखाएँ सदा नॉर्थ पोल से साउथ पोल की होती है, इसलिए अगर हमारा सर भौगोलिक साउथ की ओर होगा तो चुम्बकीय रेखाएँ हमारे सर से पांव की ओर गुज़रे गी, यानि कि चुम्बकीय रेखाओं की दिशा हमारे खून से बहाव के साथ होगी जबकि अगर हमारा सर उत्तर दिशा में होगा तो चुम्बकीय रेखाएँ हमारे खून के बहाव से उल्टी दिशा में प्रवाहित होगी, जिससे हम खून से संबंधित बीमारियों से ग्रस्त हो सकते हैं l

इसलिए सिरहाने की दिशा सदा दक्षिण की ओर होनी चाहिए l

रेखा जोशी

Wednesday, 11 September 2019

बिन तेरे नहीं अब रहना

मुझे तुम से है कुछ कहना

बिन तेरे नहीं अब रहना

अकेले हैं जीवन में हम

ग़म जुदाई का नहीं सहना

..

चलेंगे हम अब साथ साथ

संग तेरे ही है रहना

जीवन है चलने का नाम

ज्यों नदिया में नीर बहना

..

तुमसे है सिंगार जीवन

तुम हो सजन मेरा गहना

रेखा जोशी

प्रार्थना


हे
शिव
शंकर
महादेव
देवों के देव
सुन लो पुकार
शम्भू पालनहार
....
हे
राम
दयालु
भगवन
शीश झुकाएं
करते प्रणाम
प्रभु कृपानिधान

रेखा जोशी

संस्मरण

करीब बीस वर्ष पहले की बात है जब मैं अपने कार्यकाल के दौरान महाविद्यालय की छात्राओं का एक ट्रिप लेकर शिमला गई थी, मेरे साथ तीन और प्राध्यापिकायें भी थी, हम ल़डकियों के सथ कालका से शिमला टोय ट्रेन से जा रहे थे, गाड़ी खचाखच भरी हुई थी हमारी सीट के सामने एक युवा दंपति आ कर खड़ा हो गया, युवती की गोद में एक गोल मटोल सुन्दर सा बच्चा था जिसे चलती गाड़ी में बच्चे के साथ खड़े रहने में उस युवती को बहुत असुविधा हो रही थी चूंकि मैं सीट पर बैठी हुई थी मैंने उस युवती से कहा जब तक आपको सीट नहीं मिलती आप बच्चे को मुझे पकडा दें, तो उसने अपने बच्चे को मुझे पकडा दिया और उस बच्चे के साथ छात्राएँ खेलने लगी, वह दंपति भी हम सबके साथ घुलमिल गया, बातों ही बातों में उनका स्टेशन आ गया और वह दोनों झटपट गाड़ी से उतर गए और हमें बाय बाय करने लगे, गाड़ी वहाँ बहुत ही कम समय के लिए रुकती है मैंने जोर से चिल्ला कर कहा, "अरे अपना बच्चा तो लेते जाओ" किसी तरह जल्दी जल्दी बच्चे को उन्हें सौंपा की गाड़ी चल पडी, गाड़ी में बैठे सभी लोग हँस रहे थे और उनके साथ हम सब भी हँसने लगे l
रेखा जोशी

Sunday, 8 September 2019

इस मोड़ से जाते हैं

इस मोड़ से जाते हैं

अभिनंदन कर रहा सामने

रंगीला इंद्रधनुष

अभिवादन कर रहे हैं

नीले अम्बर पर सफेद बादल

बरस चुकी बरखा रानी

धुल गया है मैल सारा

चहचहाने लगी बुलबुल मन की

..

इस मोड़ से जाते हैं

झुक गया जहां सतरंगी आसमाँ

अंगना मेरे

लहराने लगा आंचल मेरा

शीतल हवा के झोंकों से

चली प्रीत की ऐसी लहर

डूब गया जहां तन मन मेरा

आते ही इस मोड़ पर

रेखा जोशी