Saturday, 30 November 2019
शर्मनाक घटना
Tuesday, 26 November 2019
जाम ए ज़िन्दगी तो पीना है यारों
न जाने यह ज़िन्दगी की राह कब कहाँ ले जाये गी
आज गम है तो कल इस जीवन में खुशी भी आये गी
इस ज़िन्दगी में सुख और दुख तो सब है समय का फेर
न हो उदास रात के बाद सुबह भी जरूर आये गी
जाम ए ज़िन्दगी तो पीना है यारों
हमने सदियों कहां जीना है यारों
,
इबादत करें खुदा की मिली ज़िन्दगी
मानो यह रब का मदीना है यारों
,
साज बजाओ ज़िन्दगी में प्यार भरा
ज़िन्दगी मधुर स्वर वीणा है यारों
,
भर लो दामन में अपने खुशियां यहां
ज़िन्दगी अनमोल नगीना है यारों
,
न जाने कब छोड़ दें यह संसार हम
पर्दा मौत का तो झीना है यारों
रेखा जोशी
Thursday, 21 November 2019
जिंदगी के सफर में
करता रहा सामना
मुश्किलों का
जिंदगी के सफर में
और
मैं चलता ही गया
.
रुका नहीं, झुका नहीं
ऊँचे पर्वत गहरी खाई
मैं लांघता गया
और
मैं चलता ही गया
.
कभी राह में मिली खुशी
मिला गले उसके
कभी दुखों का टूटा पहाड़
रोया बहुत पर
खुद को संभालता गया
और
मैं चलता ही गया
.
जीवन के सफर में
कई साथी मिले चल रहे हैं साथ कुछ
यादें अपनी देकर कुछ छोड़ चले गए
और
बंधनों से घिरा
मैं चलता ही गया
…
चलता ही जा रहा हूँ
और
चलता ही रहूँगा
जीवन के सफर में
अंतिम पड़ाव आने तक
अंतिम पड़ाव आने तक
रेखा जोशी
ये रात बहुत भारी है
अंधेरे सुनसान रास्ते
कोई भी नहीं संग हमारे
किसे पुकारें
ये रात बहुत भारी है
..
शांत मौन पर्वत
डूबता सूरज
धड़कन बढ़ाती ख़ामोशियाँ
दूर कहीं झोंपड़ी में
जलती लालटेन
रुक गया हो वक्त जैसे
कैसे कटे
ये रात बहुत भारी है
…
सुबह की इंतजार में
गुम हुई चांदनी
पेड़ों के पीछे आहट सी
किसी जंगली जानवर का एहसास
इस डर के माहौल में
ये रात बहुत भारी है
ये रात बहुत भारी है
रेखा जोशी
Tuesday, 12 November 2019
आवारा हूँ मै बादल
आवारा हूँ मै बादल
हवा के संग संग घूमता रहता हूँ मैं
आज यहां कल कहीं और
चला जाता हूँ मैं
नहीं कोई मंजिल नहीं कोई राह
मन हुआ जहां
बरस जाता हूँ वहाँ
लेकिन
खत्म हो जाता है अस्तित्व मेरा
जल की धारा बन कर
आवारा हूँ तो क्या हुआ
भिगोकर आँचल अवनी का
हरियाली चहुँ ओर
फैलाता हूँ मैं
खेत खलियान, पेड़ पौधे
आशीष सबका पाता हूँ मैं
आवारा हूँ मै बादल
खुशियां धरा पर
बरसाता हूँ मैं
रेखा जोशी