जिंदगी तुमसे कोई शिकायत तो नहीं
लेकिन कुछ सवाल हैं तुझसे
ऐसी क्या ख़ता हुई जो
सारे जहां का दर्द दिया मुझे
गैरों से क्या गिला शिकवा
अपनों से ही मिला धोखा हमें
हमने तो बिछाये थे राहों पर फूल
फिर कांटों का सिला क्यों मिला हमें
जिनको समझा था अपना हमने
था प्यार किया कभी हमने
निकले फरेबी अपने ही
सिवा आसुओं के कुछ न मिला
न समझा किसे ने भी हमें
किससे करें शिकायत
कैसे जियें जीवन यह हम
कोई भी तो नहीं हमारा इस जहां में
कोई भी तो नहीं हमारा इस जहां में
रेखा जोशी
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