आफताब को छू कर
आफताब हुआ
अंधेरा था छाया
उजाला मेहरबाँ हुआ
भर ली उड़ान पंछियों ने
मुस्कुराने लगे फूल
चहकने लगी बुलबुल
गुलशन गुलज़ार हुआ
हवा के शीतल झोंको से
सिहर उठा तन मन
आफताब होने से
सारा जहां रौशन हुआ
रेखा जोशी
जी नमस्ते ,आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५ -०६-२०२१) को 'बादल !! तुम आते रहना'(चर्चा अंक-४०८७) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है। सादर
सादर आभार। अनिता जी
वाह, बहुत बढ़िया।
बेहतरीन प्रस्तुति।
सुंदर प्रस्तुति
बहुत सुंदर, उम्दा प्रस्तुति।
सौंदर्य बिखेरती रचना मुग्ध करती है।
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५ -०६-२०२१) को 'बादल !! तुम आते रहना'(चर्चा अंक-४०८७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
सादर आभार। अनिता जी
Deleteवाह, बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर, उम्दा प्रस्तुति।
ReplyDeleteसौंदर्य बिखेरती रचना मुग्ध करती है।
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