Saturday, 18 April 2020

मुक्तक कोरोना पर

छूओ  ना छूओ  ना छूओ  ना 
कुछ भी ना तुम अब  तो छूओ  ना
साबुन से  धों   हाथों को अपने 
भागेगा  फिर जालिम कोरोना 
.. 
कोरोना  ने  ढाया  कैसा अत्याचार है
आज  मंदिरों  के  भी बंद  हुए द्वार है 
ईश्वर तो सदा  रहता  ह्रदय  में   हमारे 
सुन लेता हमारे मौन दिल की पुकार है 

रेखा जोशी 



3 comments:

  1. बहुत बढ़िया

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  2. A good informative post that you have shared and thankful your work for sharing the information. I appreciate your efforts and all the best.

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