Friday, 29 January 2021

इंतजार

बैठ दरवाज़े पर करती इंतजार
गोरी अपना करके सोलह सिंगार
.. 
राह निहारे सजना नयन में सपने
बिन तेरे लागे न जिया कब दोगे दीदार
.. 
प्रीत की रीत को सदा निभाया हमने
सपने हुए न हमारे फिर भी साकार
.. 
खता ऐसी क्या हुई क्यों रूठे हमसे
हमने तुम पर अपना सब कुछ दिया वार
.. 
दिल से साजन तुमने बहुत की दिल्लगी 
फिर क्यों निगाहों से छलक रहा है प्यार

रेखा जोशी 

अधूरी कहानी

अधूरी कहानी पर खामोश लबों का पहरा है

चोट रूह की है इसलिए दर्द ज़रा गहरा है

..

खानी है अभी और चोट औ सहना है दर्द भी

किस को सुनायें हाल ए दिल हर कोई बहरा है

.

चीख रही रूह हमारी लेकिन होंठ सिले हुए..

रुक रही अब साँस आँसू आंखों पर ठहरा है

..

दर्द ही दर्द हैं जिंदगी में हर कोई बेखबर

खिले थे फूल चमन में बना अब तो यह सहरा है

..

गुजर गई है जिंदगी आंसुओ से भीगी हुई

टूटा दिल हमारा बसा नैनों में इक चेहरा है

रेखा जोशी

Thursday, 28 January 2021

दिल चाहता है

दिल चाहता है छूना आसमान

काम नहीं है यह इतना आसान

..

करना है पूरा जो चाहतों को

बना लो मेहनत अपना ईमान

.

चाहने से नहीं कभी कुछ मिलता

हौसलों को करो अपने परवान

..

कमर कस जुटो पाने को लक्ष्य तुम

जुटा लो सभी अपने सारे समान

..

छू लोगे इक दिन बुलंदियां तुम फिर

पूरे होंगे फिर सारे अरमान

रेखा जोशी

Saturday, 23 January 2021

Essence of life

Essence of  life

Everyday I see 
A  small sparrow
In a nest 
Swinging  on a branch
Of my garden tree
With little ones
Chirping playing 
Feeling safe with their mother 
Open up their little beaks 
Small sparrow fills them with food 
What she brought was from far
For her little ones
Day by day
Nest became smaller and smaller 
And the children grew up
One gloomy day I saw 
Sitting quietly, their caretaker 
Small sparrow 
On the branch of the tree 
Grown up those little ones 
Flew away 
Nest was quiet 
No chirping sound 
Of the little ones 
Now she is left alone
This is the essence of every life
This is the essence of every life

 
Rekha Joshi

Saturday, 9 January 2021

सार जीवन का



सार जीवन का

देखती हूँ हर रोज़
अपनी बगिया के पेड़ पर
नीड़ इक झूलता हुआ
महफूज़ थे जिसमें
वो नन्हे से चिड़िया के बच्चे
चोंच खोले आस में
माँ के इंतज़ार में
पाते ही आहट माँ की
चहचहाते उमंग से
उन नन्ही सी चोंचों को
भर देती वह दानों से
जो लाई थी वह दूर से
अपने नन्हों के लिए
दिन पर दिन गुजरते गए
घोंसला छोटा हुआ
और बच्चे बढ़ते गए
देखा इक दिन नीड़ को
बैठी चुपचाप रक्षिता वो
भर ली उड़ान बच्चों ने
रह गई अब अकेली वो
सार यही हर जीवन का
सार यही है जीवन का

रेखा जोशी

Friday, 8 January 2021

On the waves of happiness and sorrow


Life is like
A moving boat in deep ocean 
Rising and falling
On the waves of happiness and sorrow

Swinging back and forth
With blowing wind 
And roaring tides of uncalmy ocean 
On the waves of happiness and sorrow

Sun a ball of fire kisses 
The ocean surface 
Color shining vermilion
Glorious sky and dusky evening
Again the Sun rises 
There will be new morning
And life goes on
On the waves of happiness and sorrow

Rekha Joshi





 

आने वाला कल


जीना चाह रही

पर जी नही पा रही ज़िंदगी

निराशा के चक्रव्यूह से
निकलना चाह रही
पर निकल नही पा रही ज़िंदगी
घेर लिया उसे घोर निराशा ने
है छाया अन्धकार चहुँ ओर

किरण आशा की कहीं से भी
नज़र नहीं आ रही
पर यह तो है ज़िंदगी जियेगी
चीर सीना कालिमा का
बादलों की ओट से
निकले गा रथ अरुण का
सात घोड़ों पर सवार
विलुप्त होगा तब अंधकार
बिखरेंगी उसकी रश्मियाँ तब 

आने वाला कल होगा खुशहाल 
जी उठेगी ज़िंदगी फिर से इक बार

रेखा जोशी

Wednesday, 6 January 2021

बचपन

बचपन के 
खूबसूरत पल 
फिर महके

कंचे खेलना 
पिट्ठू गर्म करना 
स्टापु खेलना 

आँख मिचोली 
गल्ली डंडा खेलना 
चोर सिपाही 

गुड्डा गुड़िया 
घर घर खेलना 
शादी रचाना 

खेल खेल में 
वो रूठना मानना 
मधुर यादें 

रेखा जोशी