Friday, 29 January 2021

इंतजार

बैठ दरवाज़े पर करती इंतजार
गोरी अपना करके सोलह सिंगार
.. 
राह निहारे सजना नयन में सपने
बिन तेरे लागे न जिया कब दोगे दीदार
.. 
प्रीत की रीत को सदा निभाया हमने
सपने हुए न हमारे फिर भी साकार
.. 
खता ऐसी क्या हुई क्यों रूठे हमसे
हमने तुम पर अपना सब कुछ दिया वार
.. 
दिल से साजन तुमने बहुत की दिल्लगी 
फिर क्यों निगाहों से छलक रहा है प्यार

रेखा जोशी 

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