गोरी अपना करके सोलह सिंगार
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राह निहारे सजना नयन में सपने
बिन तेरे लागे न जिया कब दोगे दीदार
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प्रीत की रीत को सदा निभाया हमने
सपने हुए न हमारे फिर भी साकार
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खता ऐसी क्या हुई क्यों रूठे हमसे
हमने तुम पर अपना सब कुछ दिया वार
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दिल से साजन तुमने बहुत की दिल्लगी
फिर क्यों निगाहों से छलक रहा है प्यार
रेखा जोशी
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसादर आभार आपका
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