अधूरी कहानी पर खामोश लबों का पहरा है
चोट रूह की है इसलिए दर्द ज़रा गहरा है
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खानी है अभी और चोट औ सहना है दर्द भी
किस को सुनायें हाल ए दिल हर कोई बहरा है
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चीख रही रूह हमारी लेकिन होंठ सिले हुए..
रुक रही अब साँस आँसू आंखों पर ठहरा है
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दर्द ही दर्द हैं जिंदगी में हर कोई बेखबर
खिले थे फूल चमन में बना अब तो यह सहरा है
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गुजर गई है जिंदगी आंसुओ से भीगी हुई
टूटा दिल हमारा बसा नैनों में इक चेहरा है
रेखा जोशी
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