Tuesday, 28 June 2022

छन्द प्रज्ञा मुक्तक

मुक्तक

सुन्दर काया, झूमो गाओ ,देखो प्रीत बढाएंगे
सब को हँसाओ, आओ साथी ,दोनो रीत निभाएंगे
प्रियतम मेरे, मीठी वाणी, डाली कोयलिया बोले
सुमधुर बोली,गाती भाती, गोरी की सखियां बोलें

रेखा जोशी




Saturday, 25 June 2022

गुनगुनाता हूँ गीत नया गाता हूँ

गुनगुनाता हूँ  
गीत नया गाता हूँ

भले ही कठिन
हैं राहें ज़िन्दगी की
हर पल मुस्कुराता हूँ
ज़िंदगी  जीना चाहता हूँ
गुनगुनाता हूँ  
गीत नया गाता हूँ

कितना मनमोहक
है सौंदर्य प्रकृति का
बिखरा चहुँ ओर मेरे
खूबसूरत नजारों का
आंनद लेना चाहता हूँ
गुनगुनाता हूँ  
गीत नया गाता हूँ

दो दिन की ज़िंदगी में
फूल खुशियों के
बिखेरना चाहता हूँ
गुनगुनाता हूँ  
गीत नया गाता हूँ

रेखा जोशी


गीतिका आधार छन्द हीर

गीतिका

रूठ न हमसे प्रियतम ,आज यह क्या किया
हां सच यह  प्रीत सजन ,तोड़ दिल क्यों दिया

आज खिल उठा मधुबन मौसम  तड़पा रहा
गीत मधुर गा कर मन,झूम  खिल उठा हिया

बादल अँगना घिर जल ,आकर बरसा रहा
साजन मनभावन पिया, लागे न सजना जिया

शाम सुबह गीत मधुर,  कोयल अब गा रही
आज महकता उपवन ,फूल खिल गए पिया

हार हम गए  साजन, जीत तुम पिया गए
छोड़ कर चले प्रियतम, आज तुम हमें पिया

रेखा जोशी




Sunday, 19 June 2022

पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

पिता प्रणेता
सुरक्षा कवच ज़िंदगी का 
रहती हूँ निर्भय मै 
साया सिर पर जब होता उसका

गोदी में अपनी खिलाया
ऊँगली पकड़ चलना सिखाया
धन्य हुई पा कर
आपार स्नेह अपने पिता का
मिला है बल मुझे उनसे सदा

शत शत नमन उस ईश्वर का 
जो अवतरित हुआ 
इस धरती पर 
दिखाया जिसने अपना रूप 
बन कर मेरे प्यारे पिता

रेखा जोशी

Friday, 17 June 2022

बाल कविता

बाल कविता 

चलो आज आसमाँ की 
करते हैं सैर 
बादलों के रथ पर 
हो के सवार
निकल पड़े नन्हें मिया 
थाम किताबें  हाथ
कल्पना की सीढ़ी से
पहुंचे चंदा के द्वार
देख अद्भूत  नजारा 
गगन का 
हुआ दिल बाग बाग 
क्या सुहाना था मौसम 
मुस्करा रहा था चांद 
चाँदनी रात और शीतल हवा 
कितना सुन्दर था सपना सुहाना 
खुल गई नींद लेकिन 
आँखों में अभी भी थे वो 
सुन्दर नजारे 
वो बादल, आसमाँ 
और 
मुस्कराता चांद 

रेखा जोशी 


पैसा ही बस दीन ईमान पैसा ही सब कुछ

दुनिया में इक दूजे से सबको जलते देखा
स्वार्थी इंसानों को आपस में  छलते देखा
पैसा ही बस दीन ईमान पैसा ही सब कुछ
पैसों की खातिर सब रिश्तों को बदलते देखा

रेखा जोशी

कान्हा मुरलिया खूब बजाये रे

कान्हा मुरलिया खूब बजाये रे
राधा को कृष्णा खूब सताये रे
,
है मोर मुकुट पीताम्बर धारी
छवि मोहन की सभी को भाये रे
,
बलिहारी जाए मैया यशोदा
मोहन की मोहक खूब अदाएं रे
,
छाया सब ओर बंसी का जादू
कान्हा राधिका रास रचाए रे
,
झूमें गोपियां ग्वाले भी संग
धूम गोकुल में सभी मचाये रे

रेखा जोशी

Thursday, 16 June 2022

गाय

देती  अमृत  सा  दूध  हमें  ऐसी  गौ  माता है
दूध दही और घी मक्खन हम सबको भाता है
धन्य  धरती भारत  की पूजी  गाय जाती जहाँ
सेवा  करे  जो  इसकी  भवसागर तर जाता है

रेखा जोशी






  

ओम की गुंजन

ओम की गुंजन

ओम के जाप से हो जाता शान्त मन
गूंज से इसकी  हो जाता कंपित तन

वेदों में  बतलाया ओम का स्वरूप
महिमा ओम की है सदा सत्य सनातन

ओ उ  म में है समाया  सारा ब्रह्माण्ड
गूंगा भी करता है ओम का उच्चारण

जप कर ओम ओम कल्याण होगा सबका
ओम  ही   साकार   रूप   ओम ही  निर्गुण

ओम  नाम  से कट  जाते  सभी के पाप 
है कण कण में  समाई ओम की गुंजन

रेखा जोशी

Thursday, 2 June 2022


शीर्षक  "शर्माता है चाँद"(नवगीत)


रात में चमकता चाँद

चांदनी बिखेरता सागर के आंचल पर 

झिलमिलाता है चाँद

,,

आ गए हम कहाँ

परियों के देश में

धवल चाँदनी यहाँ

राह पर बिखराता है चाँद

..

दीप्त चाँदनी सा दमकता

सुन्दर चेहरा तेरा 

ज्यों गगन पर

जगमगाता है चाँद
..

आये महफ़िल में तेरी सजन

संग संग टिमटिमाते तारे लिए

उतर आया धरती पर

अब मुस्कुराता है चाँद

,,

सुंदर चेहरा

छिपा लिया बंद पलकों में हमने

देख  हमें

यहाँ शर्माता है चाँद

रेखा जोशी