गुनगुनाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
भले ही कठिन
हैं राहें ज़िन्दगी की
हर पल मुस्कुराता हूँ
ज़िंदगी जीना चाहता हूँ
गुनगुनाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
कितना मनमोहक
है सौंदर्य प्रकृति का
बिखरा चहुँ ओर मेरे
खूबसूरत नजारों का
आंनद लेना चाहता हूँ
गुनगुनाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
दो दिन की ज़िंदगी में
फूल खुशियों के
बिखेरना चाहता हूँ
गुनगुनाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
रेखा जोशी
सकारात्मकता का संदेश देती सुंदर रचना ।
ReplyDeleteसादर आभार संगीता जी
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२७-०६-२०२२ ) को
'कितनी अजीब होती हैं यादें'(चर्चा अंक-४४७३ ) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत सुंदर भाव
ReplyDeleteसुंदर सकारात्मक सोच।
ReplyDeleteसुंदर सृजन।