Saturday, 25 June 2022

गुनगुनाता हूँ गीत नया गाता हूँ

गुनगुनाता हूँ  
गीत नया गाता हूँ

भले ही कठिन
हैं राहें ज़िन्दगी की
हर पल मुस्कुराता हूँ
ज़िंदगी  जीना चाहता हूँ
गुनगुनाता हूँ  
गीत नया गाता हूँ

कितना मनमोहक
है सौंदर्य प्रकृति का
बिखरा चहुँ ओर मेरे
खूबसूरत नजारों का
आंनद लेना चाहता हूँ
गुनगुनाता हूँ  
गीत नया गाता हूँ

दो दिन की ज़िंदगी में
फूल खुशियों के
बिखेरना चाहता हूँ
गुनगुनाता हूँ  
गीत नया गाता हूँ

रेखा जोशी


5 comments:

  1. सकारात्मकता का संदेश देती सुंदर रचना ।

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    1. सादर आभार संगीता जी

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(२७-०६-२०२२ ) को
    'कितनी अजीब होती हैं यादें'(चर्चा अंक-४४७३ )
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  3. बहुत सुंदर भाव

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  4. सुंदर सकारात्मक सोच।
    सुंदर सृजन।

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