शीर्षक "शर्माता है चाँद"(नवगीत)
रात में चमकता चाँद
चांदनी बिखेरता सागर के आंचल पर
झिलमिलाता है चाँद
,,
आ गए हम कहाँ
परियों के देश में
धवल चाँदनी यहाँ
राह पर बिखराता है चाँद
..
दीप्त चाँदनी सा दमकता
सुन्दर चेहरा तेरा
ज्यों गगन पर
जगमगाता है चाँद
..
आये महफ़िल में तेरी सजन
संग संग टिमटिमाते तारे लिए
उतर आया धरती पर
अब मुस्कुराता है चाँद
,,
सुंदर चेहरा
छिपा लिया बंद पलकों में हमने
देख हमें
यहाँ शर्माता है चाँद
रेखा जोशी
वाह क्या बात है । चाँद का शर्माना भी गजब कर रहा ।
ReplyDeleteसादर आभार संगीता जी
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद Onkar जी
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