Friday, 17 June 2022

बाल कविता

बाल कविता 

चलो आज आसमाँ की 
करते हैं सैर 
बादलों के रथ पर 
हो के सवार
निकल पड़े नन्हें मिया 
थाम किताबें  हाथ
कल्पना की सीढ़ी से
पहुंचे चंदा के द्वार
देख अद्भूत  नजारा 
गगन का 
हुआ दिल बाग बाग 
क्या सुहाना था मौसम 
मुस्करा रहा था चांद 
चाँदनी रात और शीतल हवा 
कितना सुन्दर था सपना सुहाना 
खुल गई नींद लेकिन 
आँखों में अभी भी थे वो 
सुन्दर नजारे 
वो बादल, आसमाँ 
और 
मुस्कराता चांद 

रेखा जोशी 


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