छंद मुक्त रचना
चलो सखी नदिया के तीर
करने प्रणाम ,मिला जिससे हमें जीवन दान
हो कर सवार सात घोड़ों के रथ पर
अपनी लालिमा से
दिवाकर ने रंग दिया आसमान
चलो सखी नदिया के तीर
करने प्रणाम ,मिला जिससे हमें जीवन दान
आओ दें अर्ध्य
सूरज की प्रथम मचलती रश्मियों को
लहराती झूमती तरंगिनी की लहरों पर
अर्पण करें हम दीपदान
चलो सखी नदिया के तीर
करने प्रणाम ,मिला जिससे हमें जीवन दान
आओ सजा थाली करें पूजा
सूरज के रथ को प्रणेता जीवन का
आगमन से जिसके हुई आलौकिक धरा
जीवन दाता हमारा
है उससे ही तन में प्राण
चलो सखी नदिया के तीर
करने प्रणाम मिला जिससे हमें जीवन दान
रेखा जोशी
खूबसूरत अभिव्यक्ति
ReplyDelete