फिर वही शाम वही तन्हाई
दिल में मेरे वही दर्द ले कर आई
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प्रियतम मेरे
ढूँढ़ रही है बेचैन निगाहें
कहाँ खो गये दुनिया की भीड़ में
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प्रियतम मेरे
मजनू बना प्यार में तेरे
आईना भी नही पहचानता मुझे
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प्रियतम मेरे
दर्देदिल ने कुछ ऐसा किया
हो गया मै तुम्हारा उम्र भर के लिए
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प्रियतम मेरे
हो न जाऊं कहीं पागल मै
स्वाती अमृत की बूंद मुझे दे
रेखा जोशी
बहुत सुंदर
ReplyDeleteसुन्दर
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