Friday 18 September 2015

ज़िंदगी की शाम अब साजन महकनी चाहिये

ज़िंदगी   की  शाम अब साजन महकनी चाहिये
साज़ पर इक प्यार की धुन भी मचलनी चाहिये
जोश भर कर ज़िंदगी का अब मज़ा ले लो सजन
साथ  लहरें  भी  नदी  की  अब  उछलनी चाहिये

रेखा जोशी 

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