Thursday 17 September 2015

आओ करें स्वागत आशा और निराशा का

भोर होते ही
छुप जायेगा
वह चमकीला  सितारा
आसमान का
लीन  हो जायेगा
सूरज की सुनहरी  किरणों में
किस जीत का मना रहे जश्न
और रो रहे किस हार पर तुम
बसंत की मनाते  ख़ुशी या
पतझड़ का मनाते  शोक
रात दिन सुख दुःख तो
है जीवन का चक्र
है गुज़रना इस क्रम से
आशा और निराशा को
आओ करें  स्वागत
आशा और निराशा का
इस रंग बिरंगे
जीवन में

रेखा जोशी




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